भीलवाड़ा मॉडल क्या है – आखिर भारत मे हर जगह क्यों जरूरी है भीलवाड़ा मॉडल यहाँ पढ़ें पूरी जानकारी!
चीन से शुरू हुआ कोरोना वायरस अब पूरी दुनिया में फैल चुका है। दुनिया का हर देश इस चुनौती से लड़ने में लगा हुआ है और भारत भी इससे अछूता नहीं है। भारत में लगातार कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं इसी बीच “भीलवाड़ा मॉडल” अचानक से चर्चा में आ जाता है। लोग इसपर बात करनी शुरू कर देते हैं। इस मॉडल से प्रेरित होकर कोरोना वायरस से बचने के लिए केंद्र सरकार इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की भी बात कर रही है।
आपके मन में भी कहीं न कहीं यह सवाल आता होगा की आखिर ये भीलवाड़ा मॉडल है क्या? तो आइए हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताताते हैं। “भीलवाड़ा मॉडल” भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट के काम करने का तरीका है जिसके जरिए उन्होंने कोरोना वायरस के चेन को तोड़ने में सफलता हासिल की है।
इस मॉडल को जमीनी तौर पर लागू करने से पहले लगभग एक हफ्ते तक किला के सभी अधिकारियों ने दिन रात मेहनत की है और आखिरकार ये सभी कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में कामयाब हो गए हैं। इस मॉडल को लागू करने के लिए कुछ नितियां अपनाई गई हैं जिनके बारे में हम नीचे बात करेंगे।
भीलवाड़ा मॉडल के कुछ खास प्वाइंट :-
जिला को सील किया गया
कोरोना का प्रकोप बढ़ते ही भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने राज्य सरकार के आदेश का इंतजार किये बिना ही 20 चेक पोस्ट बनाकर जिला को पूरी तरह से सील कर दिया। ताकि कोई भी न तो जिले से बाहर जा सके और ना ही जिले के अंदर आ सके। इसके बाद खाने पीने की चीजों की सप्लाई और जिला के हर व्यक्ति की स्क्रीनिंग का फैसला लिया गया। इन्हे भी पढ़ें – विटामिन और उनके स्रोत की सूची
संदिग्ध लोगों की लिस्ट तैयार की गई
इस शहर में कोरोना वायरस का संक्रमण बांगड़ हॉस्पिटल के डॉक्टर से फैला है। इसलिए सबसे पहले यह पता लगाया गया की यहां कौन कौन सी जगह से मरीज अपना इलाज कराने आए हुए थे। इस बात का पता लगाने के लिए हॉस्पिटल से मरीजों की पूरी लिस्ट निकाली गयी। लिस्ट को देखने के बात पता चला की इस हॉस्पिटल में 4 राज्यों से 36 और राजस्थान के 15 जिलों से 498 मरीज आए हुए थे। जो मरीज दूसरे जिलों से आए थे उनके कलेक्टर को सूचना देकर मरीजों की स्क्रीनिंग कराई गयी।
25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गई
जिले में 6 कोरोना वायरस के मामले आते ही पूरे भीलवाड़ा में कर्फ्यू लगा दिया ताकि लोग अपने अपने घरों में ही रहें बांगड़ हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गयी। 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग करने के लिए 6 हजार टीम बनाई गयी। स्क्रीनिंग के दौरान लगभग 18 हजार लोगों को सर्दी और जुकाम से पीड़ित पाया गया।
एक लाख 215 लोगों को होम क्वारेंटाइन कर वहां कर्मचारी तैनात किए गए। इसके अलावा लगभग एक हजार संदिग्ध लोगों को 20 होटलों में क्वारेंटाइन किया गया। शहर के 55 वार्डों में दो दो बार सेनिटाइजेशन करवाया गया ताकि संक्रमण कम से कम किया जा सके।
खाने पीने की चीजें सप्लाई की गई
आम जनता को परेशानी न हो इसलिए सरकारी उपभोक्ता भंडार से खाने पीने की चीजों को बांटना शुरू किया गया। रोडवेज की बसों को बंद करवा दिया गया और दूध सप्लाई के लिए डेयरी को सुबह में मात्र दो घंटो के लिए खोलने का आदेश साथ ही हर वार्ड में दो से तीन दुकानों को होम डिलीवरी के लिए लाइंसेंस भी दिया गया। इसके अलावा कृषि मंडी को सब्जी और फल सप्लाई करने की जिम्मेदारी दी गयी।
भीलवाड़ा मॉडल को कैसे लागू किया गया :-
काम को सेक्शन के हिसाब से बांटा गया
चुनाव के समय जैसे हर सेक्शन को काम बांटा जाता है वैसे ही कोरोना वायरस के प्रकोप से बचने के लिए भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट में चुनाव पैटर्न पर काम किया गया। चुनाव ड्यूटी वाले सभी कर्मचारियों को बुलाया गया और फिर भीलवाड़ा मॉडल के काम को सेक्शन में बांट दिया गया।
किसी किसी अधिकारी को कंट्रोल रूम सौंपा गया, किसी को डॉक्युमेंट्स तैयार करने का तो किसी को ग्रामीण क्षेत्र में जाकर सर्वे करने का काम सौंपा गया। हर एक बारीकियों का ध्यान रखा गया ताकि किसी तरह से कोई कमी या गलती की गुंजाईश न रहे।
भीलवाड़ा मॉडल को लागू करने से पहले लगभग पांच दिन तक इसपर पूरी रिसर्च की गयी, ऑफिसरों की टीम बनाई गयी और कोरोना की स्थिति के अपडेट को ध्यान में रखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक लगातार कलेक्ट्रेट में चार से पांच दिनों तक काम किया गया।
कंट्रोल रूम को सेट किया गया
जो कर्मचारी लोकसभा और और विधानसभा चुनाव के समय कंट्रोल रूम संभालते हैं उन्हें भीलवाड़ा में बुलाया गया और कलेक्ट्रेट का कंट्रोल रूम संभालने का काम दिया गया। पाठ्यपुस्तक मंडल के प्रभारी प्रधानाचार्य श्याम लाल खटीक, हरीश पवार और डॉ महावीर प्रसाद शर्मा के साथ साथ दूसरे और 28 कर्मचारी और अधिकारी को तैनात किया गया।
इन अधिकारियों के पास हर रोज 200 से ज्यादा फोन कॉल आ रहे थे जिसकी मदद से जरुरतमंदो को खाने पीने और दूसरी चीजों को पहुंचाया गया। आम जनता की सभी जरूरतों की पूर्ति की गयी ताकि उन्हें किसी तरह की तकलीफ न हो। साथ ही साथ स्क्रीनिंग भी जारी रही।
ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे किया
जब पहले ही पूरे देश में कोरोना का डर फैला हुआ है तो उस स्थिति में ग्रामीण का सर्वे करना अपने आप में बड़ी चुनौती है। फिर भी इनकी टीम ने 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की। एडीईओ नारायण जागेटिया, प्रधानाचार्य अब्दुल शहीद शेख और टेक्सटाइल कॉलेज के प्रोफेसर अनुराग जागेटिया की टीम ने चार राज्यों के 37 और 15 जिलों के 520 मरीजों को खुद फोन किया जो बांगड़ हॉस्पिटल आए थे।
नागरिक सुरक्षा विभाग टीम ने किया बड़ा काम
नागरिक सुरक्षा विभाग टीम ने अपनी तरफ से अच्छा काम किया है। लगभग 50 से ज्यादा जवान भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट में तैनात रहे और जहां जहां जरूरत पड़ी वहां वहां गए। प्रभारी गोपाल ने जिला में मास्क और सेनिटाइजर, जरूरतमंदों के लिए भोजन और दूसरी अन्य चीजों की व्यवस्था को संभाला। साथ ही सौरभ कोठारी ने वाहन अधिग्रहण के काम को संभाला।
भीलवाड़ा मॉडल क्यों जरूरी है
लॉकडाउन होने के बाद भी जिस तेजी से कोरोना वायरस के मामले पूरे देश में बढ़ रहे हैं। ऐसे में भीलवाड़ा मॉडल भारत में लागू करने के बाद शायद कोरोना का प्रकोप कम क्र इसके चेन को तोड़ा जा सके। क्यूंकि इस मॉडल के अंदर कुछ खूबियां हैं जिनकी मदद से इस महामारी से बचा सकते है। इस मॉडल को लागू करने के लिए
- पूरे देश को आइसोलेट करना होगा ताकि कोई भी घर से बाहर न आए।
- कोरोना वायरस के हॉट स्पॉट की पहचान कर उसे जीरो मोबिलिटी जॉन बनाना होगा।
- जो कोरोना के मरीज हैं उनके कॉन्टैक्ट को ट्रेसिंग कर उन्हें भी होम आइसोलेट करना होगा ताकि वायरस के फैलने का खतरा खत्म हो जाए।
- घर घर जाकर परिवार के हर एक व्यक्ति की ट्रेवल हिस्ट्री चेक करना होगा, खासकर उनका जो इस वायरस से संक्रमित हैं।
- जो होम आइसोलेशन में हैं उनकी बराबर निगरानी रखनी पड़ेगी।
- हर गांव, जिले और कस्बों के बॉर्डर को पूरी तरह से सील करना ताकि कोई भी व्यक्ति अंदर से बाहर या बाहर से अंदर न आ जा सके। बाहर से आए हर व्यक्ति का रिकॉर्ड रखना एवं उनकी जांच करना होगा।
ये सभी प्वाइंट भीलवाड़ा मॉडल के अंतर्गत आते हैं। अगर पूरे देश में इस मॉडल को लागू किया गया तो शायद कोरोना वायरस को पूरी तरह से ख़त्म करने में कामयाबी हासिल हो। लेकिन इस मॉडल को लागू करने के बहुत सारे दूसरे भी पक्ष हैं जैसे की पूरे देश में इस मॉडल को लागू करने के लिए बड़ी संख्या में डॉक्टर, भारी संख्या में कोरोना संक्रमण चेक करने वाली मशीन, क्वारेंटाइन सेंटर और कोई भी इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भूखा न मरे उसके लिए खाने पीने चीजों का बड़े स्तर पर तैयारी आदि की जरूरत पड़ेगी। तभी यह संभव और सफल हो पाएगा।